उम्मत की तरफ से हुज़ूर की क़ुरबानी!
हदीस में है हुज़ूरे अक़दस सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम “ﷺ” ने एक दुम्बे कि ज़बह में फ़रमाया बिस्मिल्लाह अल्लाहु अकबर इलाही यह मुहम्मद सल्लल्लाहु तआला अलैहि व सल्लम “ﷺ” और उनके अहले बैत की तरफ से है दूसरे की जबह में फ़रमाया बिस्मिल्लाह अल्लाहु अकबर यह उसकी तरफ से है जिसने मेरी उम्मत से क़ुरबानी न की मुसलमानों अपने नबी रऊफ व रहीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम “ﷺ” की रहमत देखो।
हदीस में इरशाद है, फरबा व ताज़ा क़ुरबानियाँ करो कि वह पुल सिरात पर तुम्हारी सवारियां होंगी हुज़ूरे अनवर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम “ﷺ” को मालूम था कि मेरी उम्मत में करोड़ों लोग वह होंगे जो क़ुरबानी से आजिज होंगे या उन पर वाजिब न होने के सबब क़ुरबानी न कर पायेंगे लेकिन हुज़ूर ने न चाहा कि वह पुल सिरात पर बेसवारी के रह जाएं उनकी तरफ से खुद क़ुरबानी फरमा दी कि अगर वह अपनी जान भी क़ुरबान करते तो उनकी दस्ते मुबारक़ की फज़ीलत को न पहुँचते। (सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम “ﷺ”)
इस बारे में आला हजरत इमाम अहमद रज़ा का अमल मुलाहिज़ा हो, खुद इरशाद फ़रमाते हैं- मैं हमेशा से रोज़े ईद एक आला दर्जा का बेश कीमती मेढ़ा अपने सरकारे आलम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम “ﷺ” की तरफ से किया करता हूँ और रोज़े विसाल हज़रत वालिद माजिद कुद्दीसा सिर्रुहु से एक मेढ़ा उनकी तरफ से और अब उस सुन्नते करीमा के इब्तिदा से यह नियत कर ली है कि इन्शा अल्लाह तआला ता-बका जिन्दगी अपने उन अहले सुन्नत भाइयों की तरफ से करूँगा जिन्होंने क़ुरबानी न कि ख्वाह गुज़र गये हों या मौजूद हो या आइन्दा आएं.
फैज़ाने आला हजरत सफ़ह,636
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