मीलाद किसे कहते हैं?

हुज़ूर सल्लललाहोतआलाअलैहिवसल्लम की ज़ात व औसाफ व उनके हाल व अक़वाल के बयान को ही मीलाद पाक (Milad) कहा जाता है। हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम की विलादत की खुशी मनाना ये सिर्फ इंसान का ही खास्सा नहीं है, बल्कि तमाम खलक़त उनकी विलादत की खुशी मनाती है।

बल्कि खुद रब्बे क़ायनात मेरे मुस्तफा जाने रहमत सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम का मीलाद पढ़ता है। यहां क़ुरान की सिर्फ चंद आयतें पेश करती हूं, वरना तो पूरा क़ुरान ही मेरे आक़ा सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम की शान से भरा हुआ है मगर कुछ आंख के अंधे और अक़्ल के कोढ़ियों को ये आयातें नहीं दिखतीं और वो लोग इसको भी शिर्क और बिदअत कहते हैं। माज़ अल्लाह!

हवाला मुलाहज़ा फरमायें

“वही है जिसने अपना रसूल हिदायत और सच्चे दीन के साथ भेजा।”

-पारा 10, सूरह तौबा, आयत 33

“​बेशक तुम्हारे पास तशरीफ लायें तुममे से वो रसूल जिन पर तुम्हारा मशक़्क़त में पड़ना गिरां है। तुम्हारी भलाई के निहायत चाहने वाले मुसलमानों पर कमाल मेहरबान”

-पारा 11, सूरह तौबा, आयत 128

पहली आयत में मौला तआला उन्हें भेजने का ज़िक्र कर रहा है और भेजा उसे जाता है जो पहले से मौजूद हो मतलब साफ है कि महबूब सल्लललाहोतआलाअलैहिवसल्लम पहले से ही आसमान पर या अर्शे आज़म पर या जहां भी रब ने उन्हें रखा वो वहां मौजूद थे। और दूसरी आयत में उनके तशरीफ लाने का और उनके औसाफ का भी बयान फरमा रहा है। क्या ये उसके महबूब सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम का मीलाद नहीं है? 

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