अक़ीदा-ए-तौहीद क्या है?

हर मुसलमान को अल्लाह तआला के तअल्लुक़ से ये अकीदा रखना ज़रूरी है। यानिकी अक़ीदा-ए-तोहिद (Aqida-e-touheed) की आसान तारीफ क्या है?

1 – अल्लाह तआला एक है, उसका कोई शरीक नहीं, न ज़ात में, न सिफ़ात में, न अफ’आल में, न अहकाम में, न कोई नबी न कोई वली।

2 – वो ज़ात वाजिबुल वजूद है या’नी हमेशा से है अज़ली है और हमेशा रहेगा अब्दी है।

3 – अल्लाह तआला की ज़ात का इद्राक मुहाल है, यानी इज्मालान (मुख्तसर तौर पर) अफ’आल के ज़रिये से सिफ़ात और सिफ़ात के ज़रिये से ज़ात का इल्म हो सकता है।

4 – अल्लाह तआला हमारा मआबूद है उसके सिवा कोई इबादत के लिए नहीं।

5 – वो हमेशा से है और हमेशा रहेगा उसकी हस्ती फना होने वाली नहीं।

6 – सारी दुनिया को वही कायम रखे हुए हैं सब उसके सहारे चल रहे हैं लेकिन खुद उसे कोई सहारे की ज़रूरत नहीं।

7 – उसे ना ऊँग आती है ना नींद, वो हर दम सबकी हिफ़ाज़त करता है और हर आन हर चीज़ पर नज़र रखता है।

8 – ज़मीन वा आसमां में जो कुछ है वो अल्लाह तआला का ही है अल्लाह के सिवा सारी दुनिया का कोई असली मालिक नहीं।

9 – अल्लाह तआला के आगे किसी को दम मारने की मजाल नहीं, अल्लाह तआला की इजाज़त के बगैर कोई अल्लाह तआला के सामने सिफ़ारिश करने का हौसला नहीं कर सकता, इस तरह अंबिया और औलिया मख़लूक के शाफ़ी (शफ़ा’अत करने वाले) हैं के अल्लाह ने इनको शफ़ा’अत की इजाज़त दी है।

10 – अल्लाह तआला को कायनात की हर चीज़ का इल्म है कोई चीज़ अल्लाह तआला से छुपी हुई नहीं और अल्लाह तआला के इल्म से बाहर नहीं ये इल्म अल्लाह तआला का ज़ाती और दायमी और बिल इस्तेक़लाल है।

11 – हमारा इल्म भी अल्लाह तआला का दिया हुआ है किसी की मजाल कि अल्लाह तआला की मर्जी के बगैर कुछ मा’लूम कर सके, अंबिया वा सहाबा व औलिया जो इल्म और गैब की बातें जानते हैं वो सब अल्लाह तआला की अता से जानते हैं।

12- अल्लाह तआला की कुदरत ज़मीन और आसमान पर ग़ालिब है, अल्लाह तआला की हुकूमत कायनात के हर एक ज़र्रे पर है और कोई चीज़ उसके फरमान से बाहर नहीं।

13- अल्लाह तआला सारी दुनिया की हिफ़ाज़त से नहीं थकता, अल्लाह तआला अपनी जात वा सिफ़ात में सबसे ऊँचा है, अल्लाह तआला अज़मत वाला है, अल्लाह तआला की शान का कोई जवाब नहीं।

14 – अल्लाह तआला का दीदार दुनियावी जिंदगी में रसूलुल्लाह ﷺ के अलावा कोई नहीं कर सकता मगर आख़िरत में हर मुसलमान दीदार करेगा।

15 – अल्लाह तआला ही हक़ीक़ी मददगार है, अंबिया व औलिया या कोई भी आम इंसान जो मख़लूक़ की मदद करता है, वो अल्लाह तआला की दी हुई ताक़त से ही करता है।

16 – अल्लाह ताला हर ऐब (झूठ, ग़ीबत, धोखा, बे-ईमानी, ज़ुल्म, भूलने, हंसी मज़ाक, गुनाह वग़ैरह) से पाक है।

17 – अल्लाह तआला जिस्म और जगह से पाक है, हमारा अक़ीदा ये होना चाहिए के अल्लाह तआला मौजुद है। कहां है कैसे है ये हमें नहीं मालूम।

18 – अल्लाह तआला को ऊपर वाला कहना गलत है क्यों के  अल्लाह तआला जगह से पाक है, अगर कोई अल्लाह तआला के लिए ये अक़ीदा रखता है के अल्लाह तआला आसमान पर है तो वो काफिर है।

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