हज़रत उस्मान-ए-ग़नी की सख़ावत का वाक़ि’आ।

अस्सलामु अलैकुम मोहतरम अज़ीज़ दोस्तो आज हम बात करने वाले है ख़लीफतुल मुस्लमीन इस्लाम के तीसरे खलीफा हज़रत उस्मान-ए-ग़नी रज़ियल्लाहु त’आला अन्हु की सखावत का वाक़्या। इसे पढ़कर आपका ईमान ताज़ा हो जाएगा और आपको मालूम हो जाएगा कि हज़रत उस्मान-ए-ग़नी रज़ियल्लाहु त’आला अन्हु की सख़ावत का क्या आलम था।

जंग-ए-तबूक के मौके पर हुज़ूर-ए-अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम मुसलमानों को अल्लाह की राह में खर्च करने की तर्ग़ीब दे रहे थे।

तभी हज़रत उस्मान-ए-ग़नी रज़ियल्लाहु त’आला अन्हु ने खड़े होकर अर्ज़ किया की वे साज़ व सामान के साथ एक 100 ऊंट मैं देते हैं। हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फिर सवाल किया तो फिर हज़रत उस्मान-ए-ग़नी रज़ियल्लाहु त’आला अन्हु खड़े हुए और अर्ज किया- या रसूल अल्लाह! 200 ऊंट और साज़ व सामान के साथ देता हूं। हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फिर सवाल किया तो फिर हजरत उस्मान-ए-ग़नी रज़ियल्लाहु त’आला अन्हु खड़े हुए। और अर्ज़ किया या रसूल अल्लाह! 300 ऊंट साज़ व सामान के साथ देता हूं।

फिर रसूलल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने अर्ज़ किया ऐ उस्मान कब तक देता रहेगा?

हज़रत उस्मान-ए-ग़नी ने फरमाया- जब तक पैग़म्बर-ए-आज़म दीन के लिए सवाल करता रहेगा।

और इसके अलावा हज़रत उस्मान-ए-ग़नी ने 1000 दीनार और एक रिवायत के मुताबिक आपने 1000 ऊंट 70 घोड़े और 10000 दीनार इस जंग में हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के सामने पेश कर दिए।

अल-मुवाहिब अल-लादुन्निय्या 

हुज़ूर-ए-अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने हजरत उस्मान-ए-ग़नी की ये सख़ावत देखी तो आपके पेश करदा दीनारों में अपना दस्त-ए-मुबारक डालकर फरमाया उस्मान के इस नेक अमल के बाद अब इन्हें कोई बात ज़रर ना पहुंचाएगी।

मिश्कात शरीफ़ स. 553.

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