आईए जानते हैं फरमाने मुस्तफा करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम “ﷺ” के ज़रिए। मेरे और आपके आक़ा इस पर क्या फरमाते हैं। मुलाहिज़ा फरमाइएआईए जानते हैं फरमाने मुस्तफा करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम “ﷺ” के ज़रिए। मेरे और आपके आक़ा इस पर क्या फरमाते हैं। मुलाहिज़ा फरमाइए।
एक हदीस-ए-पाक है-
जिसमें रसूलल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम “ﷺ” ने इरशाद फ़रमाया पारसा औरतों का बाज़ारू औरतों से भी पर्दा करना वाजिब है। क्योंकि वो उसका हुलिया ज़रूर ज़रूर मर्दों में बतायेंगी लिहाज़ा उनसे भी पर्दा करने का हुक्म है। (किताब अबु दाऊद शरीफ, पेज 292)
एक और हदीस-ए-पाक है।
“हज़रते इब्ने मसऊद रदियल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है की हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम “ﷺ” ने फ़रमाया कि औरत, औरत है यानि पर्दे में रखने की चीज़ है जब वह बाहर निकलती है तो शैतान उस औरत को घूरता है।” (किताब तिर्मिज़ी शरीफ)
कुरान में रब ता’आला इरशाद फरमाता है औरत की आवाज़ भी पर्दा है गुफ्तगू में मुलमियत (नरमी) ना रखो। (सूरह अल अहज़ाब)
और ऐसी जगह जहां मालूम हो के मर्द हजरत औरतों की आवाज को मुमकिन सुन सकते हैं तो वहां पर बात करना बिल्कुल नाजायज़ और हराम है। आला हज़रत इमाम इश्क मोहब्बत से सवाल हुआ। क्या औरत नात पढ़ सकती है? तो मेरे इमाम क्या जवाब फरमाते हैं सुनिए- आला हज़रत ने फरमाया अगर उसकी आवाज़ मर्द सुनेंगे तो नात पढ़ने की वजह उसको हराम काम करने का गुनाह मिलेगा तो ऐसी महफिल में औरत का बात करना भी मना है।
एक और हदीस-ए-पाक है।
एक मर्तबा हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम “ﷺ” ने अपनी महफिल में सहाबा-ए -किराम से सवाल किया कि औरत के लिए सबसे बेहतरीन चीज़ क्या है? सब ख़ामोश रहे और किसी ने जवाब ना दिया तो मौला अली रदियल्लाहु तआला अन्हु उठे और अपने घर जाकर खातूने जन्नत हज़रते फातिमा ज़हरा रदियल्लाहु तआला अन्हा से यही सवाल करते हैं तो आप फ़रमाती हैं कि एक औरत के लिए सबसे बेहतर ये है कि उसको कोई गैर मर्द ना देखे। मौला अली ये जवाब सुनकर बहुत खुश हुए और फिर यही जवाब वापस आकर हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम “ﷺ” की बारगाह में पेश किया तो हुज़ूर भी खुश होकर फ़रमाते हैं कि फातिमा मेरा ही हिस्सा है।
फतावा रज़वीया, जिल्द 9, सफ़ह 28