क़ुर्बानी के अहकाम व मसाइल! पोस्ट नम्बर:- 03

क़ुर्बानी का तरीका सुन्नत ये है कि ज़बह करने वाले और जानवर दोनों का चेहरा क़िब्ला की तरफ हो जानवर को बाएं (Left) पहलू पर लिटाया जाए और उसका सर जुनूब (दक्षिण) की जानिब हो और उसकी पीठ पूरब की तरफ ताकि चेहरा सही तौर से क़िब्ला की तरफ हो जाए ज़बह करने वाला अपना दाहिना पैर जानवर की गर्दन के दाएं जानिब रख कर ज़बह करें अगर क़िब्ला की तरफ जानवर का रुख न हो तो मकरूह है और अगर उसके दाएं पहलू पर लिटाया जाए तो बाज़ आइम्मा के नज़दीक हराम हो जाएगा उसका खाना जाईज़ नहीं लिहाज़ा उस से बचना ही बेहतर व मुनासिब है

हदीस में है हुज़ूरे अक़दस सल्लल्लाहु तआला अलैहि व सल्लम “ﷺ” ने बकरा ईद के दिन दो मेढ़े सींघ वाले चित बकरे खासी किए हुए ज़बह फ़रमाए जब उनका मुँह क़िब्ला को किया तो यह पढ़ा दूसरी हदीस में है रसूलल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम “ﷺ” ने दो मेढ़े चित सींघ वालों की क़ुरबानी की उन्हें अपने दस्ते मुबारक़ से ज़बह फ़रमाया और बिस्मिल्लाह अल्लाहु अकबर कहा। हज़रत अनस रज़ि अल्लाहु तआला अन्हु कहते हैं कि मैंने हुज़ूर “ﷺ” को देखा कि हुज़ूर “ﷺ” ने अपना पाँव उनके पहलू पर रखा और बिस्मिल्लाह अल्लाहु अकबर कहा।

-फैज़ाने आला हजरत सफ़ह,636

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