आला हज़रत का नामुस-ए-रिसालत पर पहरा। (पार्ट-3)

आइए हम आपको जनरल-ए-इस्लाम, मुहाफिज-ए-नामुस-ए-रिसालत इमाम अहमद रज़ा बरेलवी के किल्के रज़ा के कमालात दिखाएं. इमाम अहमद रज़ा खान बरेलवी एक अज़ीम मुहाफिज-ए-नामुस-ए-रिसालत जिन्होंने 26 साल की उम्र 1298 हिजरी में मुसलमानों के बुनियादी ए’तिक़ाद (विश्वास) और नज़रियात को कुरआन-ओ-सुन्नत की रोशनी में पेश किया अपनी तसनीफ़ ए’तिक़ाद-उल-अहबाब में 10 अकाईद में से दूसरा और तीसरा अकीदा हुज़ूर सल्लल्लाहुअलैहीवसल्लम कि शान-ए-करीमी पर है.

इमाम अहमद रज़ा खान बरेलवी एक अज़ीम मुहाफिज-ए-नामुस-ए-रिसालत जिन्होंने 33 साल की उम्र शव्वाल उल मुकर्रम 1305 हिजरी में अपने उस्ताद हज़रत मिर्जा गुलाम कादिर बैग के सवाल जिसमें बद मजहबो ने हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैह वसल्लम के अफ़ज़ल अल-मुरसलिन होने से इनकार किया इस गुस्ताखी और तोहीन के जवाब में पूछा.अहमद रज़ा ने अपने उस्तादे मोहतरम को कुरान और हदीस की दलीलों से लबरेज एक तसनीफ जिसका नाम “तजल्ली-अल-यकीन वीअन्ना सैयदउल-मुरसलीन” तहरीर फरमाई जिसमें बद मजहबो की गुस्ताखियों के जवाब दिए.

अहमद रज़ा खान बरेलवी ने 200 साल पहले लिखी गई एक बदनाम-ए-ज़माना किताब कि दिलआज़ार बातों का निहायत ही खूबसूरत और दिल आवेज़ जवाब 1311 हिजरी मैं लिख दिया अहमद रज़ा खान बरेलवी ने गुस्ताखो की इस किताब के जवाब में एक किताब जिसका नाम “मुन्यतुन लवीव बीअन्ना तशरीह वियादिल हबीब” तहरीर की. यह तहरीर एक महकता बाग़ है जिसका एक एक फूल ईमान की खेती को हरा कर देता है. फिर 170 हदीसे पाक को तहरीर करने के बाद फरमाते हैं कि फकीर ने सिर्फ इन हदीसो पर अख्तिसार (मुक्तसर) किया और अल्लाह के फ़ज़ल से अपने कलम का नेज़ा इन गुस्ताखों के जिगर में पार कर दिया.

इमाम अहमद रज़ा खान बरेलवी एक अज़ीम मुहाफिज-ए-नामुस-ए-रिसालत जिन्होंने 1311 हिजरी मुताबिक 1893 ईसवी में बद मजहबो की जानिब से दुरूदे ताज के कुछ अल्फ़ाज़ तनक़ीद और हुज़ूर की शान कम करने वालों के जवाब में 1 मार्कातुला आरा तहकीकी किताब तहरीर फरमाई जिसका नाम “अलअमनो वलउला” तहरीर फरमाई इसमें 50 कुरान की आयत और 300 हदीस-ए-पाक हुजूर पुरनूर सल्लल्लाहु अलैह वसल्लम के इख्तियार और कमालात को ऐसा बयान किया के अहले इमान की आंखों को नूर दिलों को सुरूर की दौलत मयस्सर आ गई आपने इस किताब को लिखकर हकीकत को आफताब की तरह रोशन कर दिया।

वो रज़ा के नेज़े की मार है, के अदु के सीने में गार है,

किसे चारा जुई का वार है, की ये वार वार से पार है।

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